लिप्यंतरण:( Inna yawmal fasli meeqaatuhum ajma'een )
7. अर्थात आकाशों तथा धरती की रचना लोगों की परीक्षा के लिए की गई है। और परीक्षा फल के लिए प्रलय का समय निर्धारित कर दिया गया है।
The tafsir of Surah Ad-Dukhan verse 40 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Dukhan ayat 38 which provides the complete commentary from verse 38 through 42.
सूरा अद-दुख़ान आयत 40 तफ़सीर (टिप्पणी)