लिप्यंतरण:( Faja'alahoo ghusaaa'an ahwaa )
2. (4-5) इन आयतों में बताया गया है कि प्रत्येक कार्य अनुक्रम से धीरे-धीरे होते हैं। धरती के पौधे धीरे-धीरे गुंजान और हरे-भरे होते हैं। ऐसे ही मानवीय योग्यताएँ भी धीरे-धीरे पूरी होती हैं।
The tafsir of Surah Al-Ala verse 5 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Al-Ala ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 13.
सूरा अल-आला आयत 5 तफ़सीर (टिप्पणी)