Quran Quote  : 

कुरान मजीद-7:164 सुरा अल-आराफ़ हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

وَإِذۡ قَالَتۡ أُمَّةٞ مِّنۡهُمۡ لِمَ تَعِظُونَ قَوۡمًا ٱللَّهُ مُهۡلِكُهُمۡ أَوۡ مُعَذِّبُهُمۡ عَذَابٗا شَدِيدٗاۖ قَالُواْ مَعۡذِرَةً إِلَىٰ رَبِّكُمۡ وَلَعَلَّهُمۡ يَتَّقُونَ

लिप्यंतरण:( Wa iz qaalat ummatum minhum lima ta'izoona qaw manil laahu muhlikuhum aw mu'azzibuhum 'azaaban shadeedan qaaloo ma'ziratan ilaa Rabbikum wa la'allahum yattaqoon )

तथा जब उनमें से एक समूह ने कहा कि तुम ऐसे लोगों को क्यों समझा रहे हो, जिन्हें अल्लाह (उनकी अवज्ञा के कारण) विनष्ट करने वाला है, या उन्हें बहुत सख़्त यातना देने वाला है? उन्होंने कहा : तुम्हारे पालनहार के समक्ष उज़्र करने के लिए और इसलिए कि शायद वे डर जाएँ।[61]

सूरा अल-आराफ़ आयत 164 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

61. आयत में यह संकेत है कि बुराई को रोकने से निराश नहीं होना चाहिये, क्योंकि हो सकता है कि किसी के दिल में बात लग ही जाए, और यदि न भी लगे तो अपना कर्तव्य पूरा हो जाएगा।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Al-A’raf verse 164 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah A’raf ayat 163 which provides the complete commentary from verse 163 through 166.

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