लिप्यंतरण:( Wa qaalat oolaahum li ukhraahum famaa kaana lakum 'alainaa min fadlin fazooqul azaaba bimaa kuntum taksiboon )
15. और हम और तुम यातना में बराबर हैं। आयत में इस तथ्य की ओर संकेत है कि कोई समुदाय कुपथ होता है तो वह स्वयं कुपथ नहीं होता, वह दूसरों को भी अपने कुचरित्र से कुपथ करता है। अतः सभी दुगनी यातना के अधिकारी हुए।
The tafsir of Surah Al-A’raf verse 39 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah A’raf ayat 38 which provides the complete commentary from verse 38 through 39.
सूरा अल-आराफ़ आयत 39 तफ़सीर (टिप्पणी)