लिप्यंतरण:( Walbaladut taiyibu yakhruju nabaatuhoo bi-izni Rabbihee wallazee khabusa laa yakhruju illaa nakidaa; kazaalika nusarriful Aayaati liqawminy yashkuroon )
26. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : मुझे अल्लाह ने जिस मार्गदर्शन और ज्ञान के साथ भेजा है, वह उस वर्षा के समान है, जो किसी भूमि में हुई। तो उसका कुछ भाग अच्छा था जिसने पानी लिया और उससे बहुत सी घास और चारा उगाया। और कुछ कड़ा था जिसने पानी रोक लिया, तो लोगों को लाभ हुआ और उससे पिया और सींचा। और कुछ चिकना था, जिसने न पानी रोका न घास उपजाई। तो यही उसकी दशा है जिसने अल्लाह के धर्म को समझा और उसे सीखा तथा सिखाया। और उसकी जिस ने उसपर ध्यान ही नहीं दिया और न अल्लाह के मार्गदर्शन को स्वीकार किया, जिसके साथ मुझे भेजा गया है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 79)
The tafsir of Surah Al-A’raf verse 58 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah A’raf ayat 57 which provides the complete commentary from verse 57 through 58.
सूरा अल-आराफ़ आयत 58 तफ़सीर (टिप्पणी)