Quran Quote  : 

कुरान मजीद-90:15 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

يَتِيمٗا ذَا مَقۡرَبَةٍ

लिप्यंतरण:( Yateeman zaa maqrabah )

15.यतीमों और रिश्तेदारों [15] को।

सूरा आयत 15 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

यतीम और दान की अवधारणा (The Concept of Orphanhood and Charity)

"यतीम" (orphan) शब्द का अर्थ सिर्फ़ अकेलेपन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देखभाल, संवेदनशीलता और सही पोषण (nurturing) के माध्यम से उन्नति की संभावना को भी दर्शाता है।

मुख्य बिंदु (Key Points)

1. यतीम की परिभाषा (Definition of an Orphan)

इंसानों में:
वह बच्चा जिसका पिता दुनिया से रुख़सत हो चुका है, और जिसके पास अब कोई सहारा या संरक्षक (protector) नहीं है।

जानवरों में:
वह बच्चा जिसकी मां का निधन हो गया हो, क्योंकि मां ही पोषण और देखभाल का मुख्य स्रोत होती है।

मोती (Pearl) के लिए:
जब कोई मोती अपनी सीपी में अकेला पाया जाता है, तो उसे भी "यतीम" कहा जाता है। यह एक कीमती लेकिन अकेले रत्न का प्रतीक है।

2. पोषण और उन्नति का प्रतीक (Symbolism of Growth and Nurturing)

अच्छे बीज से अच्छा फल (Good fruit from a good seed):
जैसे एक बीज से अच्छा फल पाने के लिए उसे शुद्ध और उर्वर मिट्टी में समय पर बोया और सींचा जाना ज़रूरी है, वैसे ही शारीरिक और आध्यात्मिक तरक्की के लिए सही मार्गदर्शन और मेहनत ज़रूरी है।

वैध रोज़ी (Lawful sustenance):
सिर्फ वही रोज़ी जो पवित्र और वैध (lawful) तरीके से कमाई गई हो, बरकत और आत्मिक लाभ (spiritual benefits) ला सकती है।

3. मौसमी और मेहनत की अहमियत (Seasonality and Effort)

  • जैसे खेती सही मौसम और उपजाऊ ज़मीन पर निर्भर करती है, वैसे ही नेक काम और दान तब खिलते हैं जब उन्हें नीयत (sincerity) और सही समय पर किया जाए, खासकर मुश्किल हालात में।

4. दान और रिश्ते (Charity and Relationships)

यतीम और ज़रूरतमंदों की मदद:
यतीमों और जरूरतमंदों का सहारा बनना एक बहुत बड़ा पुण्य है, जिसका इनाम सिर्फ दुनिया में नहीं बल्कि आखिरत (Hereafter) में भी मिलेगा।

रिश्तेदारों के प्रति ज़िम्मेदारी:
दान केवल अजनबियों तक सीमित नहीं है। यह खून के रिश्तों और वैवाहिक संबंधों (ससुराल वालों) तक भी फैला हुआ है। इससे परिवार के बंधन मजबूत होते हैं और इंसानियत की मिसाल कायम होती है।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Balad verse 15 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Balad ayat 11 which provides the complete commentary from verse 11 through 20.

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