Quran Quote  : 

कुरान मजीद-90:2 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

وَأَنتَ حِلُّۢ بِهَٰذَا ٱلۡبَلَدِ

लिप्यंतरण:( Wa anta hillum bihaazal balad )

2.और (ऐ प्यारे नबी) क्योंकि आप इस शहर में रहते हैं [2]।

सूरा आयत 2 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

रसूल-ए-पाक की मौजूदगी की पवित्रता और प्रतीकवाद (The Sanctity and Symbolism of the Holy Prophet's Presence)

मक्का में अस्थायी निवास (Temporary Residence in Makkah)
"हिल" का मतलब "हुलूल" (अस्थायी निवास) या "हलाल" (वाजिब) से लिया जाता है। यह बताता है कि रसूल-ए-पाक صَلَّى اللّٰهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ का मक्का में रहना अस्थायी था। यह या तो उनके मदीना मुनव्वरा की हिजरत की तरफ इशारा करता है या मक्का फतह के दिन उनके शान-ओ-शौकत और रूहानी जलाल के साथ वापसी की तरफ।

मदीना मुनव्वरा की तरफ सफर (Transition to Madina Munawwarah)
जहां मक्का को रसूल-ए-पाक صَلَّى اللّٰهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ की पहली रिहाइशगाह होने का शرف मिला, वहीं मदीना मुनव्वरा को उनकी स्थायी रिहाइशगाह होने का मुकाम हासिल है। यह शहर उनकी आखिरी आरामगाह होने की वजह से ऐसी पवित्रता का हक़दार बना जो किसी और जगह को हासिल नहीं।

दिलों का बाजार (Hearts as Markets of Faith and Love)
बुजुर्ग सूफिया दिलों को बाजारों से तश्बीह देते हैं, जहां अलग-अलग खूबियां मौजूद होती हैं:

  • कुछ बाजार कुफ्र (infidelity) और नाफरमानी (disobedience) से भरे होते हैं।
  • कुछ ईमान (faith) और अल्लाह के मआरिफ (mystical knowledge) से मुनव्वर होते हैं।
  • सबसे बुलंद बाजार वे हैं जो रसूल-ए-पाक صَلَّى اللّٰهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ की मोहब्बत से लबरेज हैं।

रसूल-ए-पाक صَلَّى اللّٰهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ की मौजूदगी उनके आशिकों के दिलों में जाहिर होती है, जहां उनकी मोहब्बत सूरज की रोशनी की तरह चमकती है और हर दिल को रोशन कर देती है।

रूहानी नूर से जुड़ाव (Connection to Divine Light)
जैसे सूरज की रोशनी अलग-अलग शक्लों में दिखाई देती है, वैसे ही रसूल-ए-पाक صَلَّى اللّٰهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ का नूर (light) दिलों को रोशन करता है। जहां उनका नूर होता है, वहां अल्लाह का नूर भी मौजूद होता है; और जहां उनका नूर नहीं होता, वहां अंधेरा छा जाता है।

रसूल की मोहब्बत और उनके मानने वालों की अज़मत (Belovedness of the Prophet and His Followers)
रसूल-ए-पाक صَلَّى اللّٰهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ अल्लाह के सबसे बड़े महबूब हैं। जो भी चीज़ उनसे वाबस्ता होती है—चाहे वह मदीना मुनव्वरा हो या औलिया के दिल—अल्लाह के लिए महबूब बन जाती है। यही वजह है कि ऐसे दिलों और रसूल-ए-पाक صَلَّى اللّٰهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ की मौजूदगी पर कसम खाई जाती है, जो उनकी बुलंदी और अज़मत को जाहिर करता है।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Balad verse 2 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Balad ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 10.

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