लिप्यंतरण:( Alaihim naarum mu'sadah )
22. नरक की छत और उसका मुहरबंद होना (The Ceiling of Hell and Its Sealing)
यह आयत नरक की प्रकृति और उसकी संरचना के बारे में बात करती है, जो उसकी पूरी तरह से बाहरी दुनिया से अलग-थलग होने को उजागर करती है।
नर्क की छत का मुहरबंद होना (Sealing of Hell's Ceiling):
आयत में बताया गया है कि नर्क की छत से बाहरी हवा या रोशनी अंदर नहीं आ सकती। उसकी छत पूरी तरह से मुहरबंद है, जिससे वहाँ रहने वालों को किसी भी बाहरी राहत या रोशनी से बचा लिया जाता है।
हवा का निकलने का कोई रास्ता नहीं (Lack of Ventilation):
नर्क की छत में कोई खिड़कियाँ, वेंटिलेटर, या छेद नहीं हैं। इसका मतलब है कि नर्क के अंदर का वातावरण पूरी तरह से बंद और दमनकारी है।
धुआँ और आंतरिक परिस्थितियाँ (Smoke and Internal Conditions):
आयत में यह भी संकेत दिया गया है कि नर्क में उत्पन्न होने वाला धुआँ भी बाहर नहीं निकल सकता। नर्क के अंदर की परिस्थितियाँ इतनी तंग और खतरनाक हैं कि धुआँ भी बाहर जाने में सक्षम नहीं है, और यह वहाँ रहने वालों के लिए और भी पीड़ा का कारण बनता है।
पूर्ण अलगाव का मतलब (Meaning of Complete Isolation):
नर्क को पूरी तरह से बंद करने का चित्रण यह दर्शाता है कि वहाँ किसी भी प्रकार की राहत या आशा का कोई स्थान नहीं है। वहाँ से कोई भागने का रास्ता नहीं है, न ही कोई सकारात्मक तत्व जैसे हवा, रोशनी या राहत अंदर आ सकती है। सजा पूरी और निरंतर है।
The tafsir of Surah Balad verse 20 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Balad ayat 11 which provides the complete commentary from verse 11 through 20.
सूरा आयत 20 तफ़सीर (टिप्पणी)