लिप्यंतरण:( Wattaba'oo maa tatlush Shayaateenu 'alaa mulki Sulaimaana wa maa kafara Sulaimaanu wa laakinnash Shayatteena kafaroo yu'al limoonan naasas sihra wa maaa unzila 'alal malakaini bi Baabila Haaroota wa Maaroot; wa maa yu'allimaani min ahadin hattaa yaqoolaaa innamaa nahnu fitnatun falaa takfur fayata'al lamoona minhumaa maa yufarriqoona bihee bainal mar'i wa zawjih; wa maa hum bidaaarreena bihee min ahadin illaa bi-iznillah; wa yata'allamoona maa yadurruhum wa laa yanfa'uhum; wa laqad 'alimoo lamanish taraahu maa lahoo fil Aakhirati min khalaaq; wa labi'sa maa sharaw biheee anfusahum; law kaanoo ya'lamoon )
50. इस आयत का दूसरा अर्थ यह भी किया गया है कि सुलैमान ने कुफ़्र नहीं किया, परंतु शैतानों ने कुफ़्र किया, वे मानव को जादू सिखाते थे। और न दो फ़रिशतों पर जादू उतारा गया, उन शैतानों या मानव में से हारूत तथा मारूत जादू सिखाते थे। (तफ़्सीर क़ुर्तुबी)। जिस ने प्रथम अनुवाद किया है, उसका यह विचार है कि मानव के रूप में दो फ़रिश्तों को उनकी परीक्षा के लिए भेजा गया था। सुलैमान अलैहिस्सलाम एक नबी और राजा हुए हैं। आप दाऊद अलैहिस्सलाम के पुत्र थे।
The tafsir of Surah Baqarah verse 102 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Baqarah ayat 99 which provides the complete commentary from verse 99 through 103.
सूरा अल-बकरा आयत 102 तफ़सीर (टिप्पणी)