लिप्यंतरण:( Kutiba 'alaikum izaa hadara ahadakumul mawtu in taraka khairanil wasiyyatu lilwaalidaini wal aqrabeena bilma'roofi haqqan 'alalmut taqeen )
99. यह वसिय्यत मीरास की आयत उतरने से पहले अनिवार्य थी, जिसे मीरास की आयत से निरस्त कर दिया गया। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का कथन है कि अल्लाह ने प्रत्येक अधिकारी को उसका अधिकार दे दिया है, अतः अब वारिस के लिए कोई वसिय्यत नहीं है। फिर जो वारिस न हो, तो उसे भी तिहाई धन से अधिक की वसिय्यत जायज़ नहीं है। (सह़ीह़ बुख़ारी :4577, सुनन अबू दावूद : 2870, इब्ने माजा : 2210)
The tafsir of Surah Baqarah verse 179 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Baqarah ayat 178 which provides the complete commentary from verse 178 through 179.
सूरा अल-बकरा आयत 180 तफ़सीर (टिप्पणी)