लिप्यंतरण:( Yudaa'af lahul 'azaabu Yawmal Qiyaamati wa yakhlud feehee muhaanaa )
35. इब्ने अब्बास ने कहा : जब यह आयत उतरी, तो मक्का वासियों ने कहा : हमने अल्लाह का साझी बनाया है और अवैध जान भी मारी है तथा व्यभिचार भी किया है। तो अल्लाह ने यह आयत उतारी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4765)
The tafsir of Surah Furqan verse 69 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Furqan ayat 68 which provides the complete commentary from verse 68 through 71.
सूरा अल-फुरक़ान आयत 69 तफ़सीर (टिप्पणी)