लिप्यंतरण:( Wa maa huwa biqawli shaa'ir; qaleelan maa tu'minoon )
और यह किसी कवि की वाणी नहीं है। तुम बहुत कम ईमान लाते हो।
सूरा अल-हाक़्क़ा आयत 41 तफ़सीर (टिप्पणी)
मुफ़्ती अहमद यार खान
Ibn-Kathir
The tafsir of Surah Al-Haqqah verse 41 by Ibn Kathir is unavailable here. Please refer to Surah Haqqah ayat 38 which provides the complete commentary from verse 38 through 43.
सूरा अल-हाक़्क़ा आयत 41 तफ़सीर (टिप्पणी)