लिप्यंतरण:( Wa lam yakul-lahoo kufuwan ahad (section 1) )
2. इस आयत में यह बताया गया है कि उसकी प्रतिमा तथा उसके बराबर और समतुल्य कोई नहीं है। उसके कर्म, गुण और अधिकार में कोई किसी रूप में बराबर नहीं। न उसकी कोई जाति है न परिवार। इन आयतों में क़ुरआन उन विषयों को जो लोगों के तौह़ीद से फिसलने का कारण बने, उसे अनेक रूप में वर्णित करता है। और देवियों और देवताओं के विवाहों और उन के पुत्र और पौत्रों का जो विवरण देव मालाओं में मिलता है, क़ुरआन ने उसका खंडन किया है।
The tafsir of Surah Ikhlas verse 4 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Ikhlas ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 4.
सूरा Al-Ikhlasआयत 4 तफ़सीर (टिप्पणी)