Quran Quote  : 

कुरान मजीद-3:103 सुरा आल-ए-इमरान हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

وَٱعۡتَصِمُواْ بِحَبۡلِ ٱللَّهِ جَمِيعٗا وَلَا تَفَرَّقُواْۚ وَٱذۡكُرُواْ نِعۡمَتَ ٱللَّهِ عَلَيۡكُمۡ إِذۡ كُنتُمۡ أَعۡدَآءٗ فَأَلَّفَ بَيۡنَ قُلُوبِكُمۡ فَأَصۡبَحۡتُم بِنِعۡمَتِهِۦٓ إِخۡوَٰنٗا وَكُنتُمۡ عَلَىٰ شَفَا حُفۡرَةٖ مِّنَ ٱلنَّارِ فَأَنقَذَكُم مِّنۡهَاۗ كَذَٰلِكَ يُبَيِّنُ ٱللَّهُ لَكُمۡ ءَايَٰتِهِۦ لَعَلَّكُمۡ تَهۡتَدُونَ

लिप्यंतरण:( Wa'tasimoo bi Hablil laahi jamee'anw wa laa tafarraqoo; wazkuroo ni'matal laahi alaikum iz kuntum a'daaa'an fa allafa baina quloobikum fa asbah tum bini'matiheee ikhwaananw wa kuntum 'alaa shafaa hufratim minan Naari fa anqazakum minhaa; kazaalika yubaiyinul laahu lakum aayaatihee la'allakum tahtadoon )

तथा अल्लाह की रस्सी[55] को सब मिलकर मज़बूती से पकड़ लो और विभेद में न पड़ो तथा अपने ऊपर अल्लाह की नेमत को याद करो कि तुम एक-दूसरे के शत्रु थे, फिर उसने तुम्हारे दिलों को जोड़ दिया और तुम उसकी कृपा से भाई-भाई हो गए। तथा तुम आग के गड्ढे के किनारे खड़े थे, तो उसने तुम्हें उससे बचा लिया। इसी प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतों को खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम मार्गदर्शन पा जाओ।

सूरा आल-ए-इमरान आयत 103 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

55. अल्लाह की रस्सी से अभिप्राय क़ुरआन और नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की सुन्नत है। यही दोनों मुसलमानों की एकता और परस्पर प्रेम का सूत्र हैं।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Imran verse 103 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Imran ayat 102 which provides the complete commentary from verse 102 through 104.

Sign up for Newsletter