लिप्यंतरण:( Wa laa tahinoo wa laa tahzanoo wa antumul a'lawna in kuntum mu'mineen )
यह अल्लाह का वादा वास्तव में सच्चा और ईमानदार है। इसके विपरीत, हम जैसे अविश्वासी और अनिश्चित लोग इस शर्त का पालन नहीं कर पाए और इस कारण से अपमानित हुए। इससे हमें यह सीखने को मिलता है कि हजरत मुहम्मद के सभी साथियों, खासकर चारों खलीफा (अल्लाह उन पर रहमत करे), सच्चे और ईमानदार ईमान वाले थे, क्योंकि अल्लाह का उनके सम्मान और प्रतिष्ठा का वादा उनके ईमान की बुनियाद पर था। उन्होंने इस शर्त का पालन किया, इसलिए अल्लाह ने उन्हें प्रतिष्ठा, खिलाफ़त, शासन आदि प्रदान किया।
The tafsir of Surah Imran verse 139 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Imran ayat 137 which provides the complete commentary from verse 137 through 143.
सूरा आल-ए-इमरान आयत 139 तफ़सीर (टिप्पणी)