लिप्यंतरण:( Wa maa kaana li Nabiyyin ai yaghull; wa mai yaghlul ya'tibimaa ghalla Yawmal Qiyaamah; summa tuwaffaa kullu nafsim maa kasabat wa hum laa yuzlamoon )
86. उह़ुद के दिन जो अपना स्थान छोड़ कर इस विचार से आ गए कि यदि हम न पहुँचे, तो दूसरे लोग ग़नीमत का सब धन ले जाएँगे, उन्हें यह चेतावनी दी जा रही है कि तुमने यह कैसे सोच लिया कि इस धन में से तुम्हारा भाग नहीं मिलेगा, क्या तुम्हें नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की अमानत पर भरोसा नहीं है? सुन लो! नबी से किसी प्रकार की ख़यानत असम्भव है। यह घोर पाप है जो कोई नबी कभी नहीं कर सकता।
The tafsir of Surah Imran verse 161 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Imran ayat 159 which provides the complete commentary from verse 159 through 164.
सूरा आल-ए-इमरान आयत 161 तफ़सीर (टिप्पणी)