Quran Quote  : 

कुरान मजीद-3:61 सुरा आल-ए-इमरान हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

فَمَنۡ حَآجَّكَ فِيهِ مِنۢ بَعۡدِ مَا جَآءَكَ مِنَ ٱلۡعِلۡمِ فَقُلۡ تَعَالَوۡاْ نَدۡعُ أَبۡنَآءَنَا وَأَبۡنَآءَكُمۡ وَنِسَآءَنَا وَنِسَآءَكُمۡ وَأَنفُسَنَا وَأَنفُسَكُمۡ ثُمَّ نَبۡتَهِلۡ فَنَجۡعَل لَّعۡنَتَ ٱللَّهِ عَلَى ٱلۡكَٰذِبِينَ

लिप्यंतरण:( Faman haaajjaka feehi mim ba'di maa jaaa'aka minal 'ilmi faqul ta'aalaw nad'u abnaaa'anaa wa abnaaa'akum wa nisaaa'anaa wa nisaaa'akum wa anfusanaa wa anfusakum summa nabtahil fanaj'al la'natal laahi 'alal kaazibeen )

फिर जो व्यक्ति आपसे उसके बारे में झगड़ा करे, इसके बाद कि आपके पास ज्ञान आ चुका, तो कह दें : आओ! हम अपने पुत्रों तथा तुम्हारे पुत्रों और अपनी स्त्रियों तथा तुम्हारी स्त्रियों को बुला लें और अपने आपको और तुम्हें भी, फिर गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करें और झूठों पर अल्लाह की ला'नत[27] भेजें।

सूरा आल-ए-इमरान आयत 61 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

27. अर्थात् अल्लाह से यह प्रार्थना करें कि वह हममें से मिथ्यावादियों को अपनी दया से दूर कर दे।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Imran verse 61 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Imran ayat 59 which provides the complete commentary from verse 59 through 63.

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