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कुरान मजीद-3:84 सुरा आल-ए-इमरान हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

قُلۡ ءَامَنَّا بِٱللَّهِ وَمَآ أُنزِلَ عَلَيۡنَا وَمَآ أُنزِلَ عَلَىٰٓ إِبۡرَٰهِيمَ وَإِسۡمَٰعِيلَ وَإِسۡحَٰقَ وَيَعۡقُوبَ وَٱلۡأَسۡبَاطِ وَمَآ أُوتِيَ مُوسَىٰ وَعِيسَىٰ وَٱلنَّبِيُّونَ مِن رَّبِّهِمۡ لَا نُفَرِّقُ بَيۡنَ أَحَدٖ مِّنۡهُمۡ وَنَحۡنُ لَهُۥ مُسۡلِمُونَ

लिप्यंतरण:( Qul aamannaa billaahi wa maaa unzila 'alainaa wa maaa unzila 'alaaa Ibraaheema wa Ismaa'eela wa Ishaaqa wa Ya'qooba wal Asbaati wa maaa ootiya Moosaa wa 'Eesaa wan Nabiyyoona mir Rabbihim laa nufarriqu baina ahadim minhum wa nahnu lahoo muslimoon )

(ऐ रसूल!) कह दो : हम अल्लाह पर ईमान लाए और उसपर जो हमपर उतारा गया, और जो इबराहीम, इसमाईल, इसह़ाक़, याक़ूब तथा उनकी संतान पर उतारा गया, और जो मूसा तथा ईसा और दूसरे नबियों को उनके पालनहार की ओर से दिया गया, हम इनमें से किसी एक के बीच अंतर नहीं करते[47] और हम उसी (अल्लाह) के आज्ञाकारी हैं।

सूरा आल-ए-इमरान आयत 84 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

47. अर्थात मूल धर्म अल्लाह की आज्ञाकारिता है, और अल्लाह की पुस्तकों तथा उसके नबियों के बीच अंतर करना, किसी को मानना और किसी को न मानना अल्लाह पर ईमान और उसकी आज्ञाकारिता के विपरीत है।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Imran verse 84 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Imran ayat 83 which provides the complete commentary from verse 83 through 85.

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