लिप्यंतरण:( Aw yakoona laka baitum min zukhrufin aw tarqaa fis samaaa'i wa lan nu'mina liruqiyyika hatta tunazzila 'alainaa kitaaban naqra'uh; qul Subhaana Rabbee hal kuntu illaa basharar Rasoolaa (section 10) )
55. अर्थात मैं अपने पालनहार की वह़्य का अनुसरण करता हूँ। और यह सब चीज़ें अल्लाह के बस में हैं। यदि वह चाहे तो एक क्षण में सब कुछ कर सकता है, किंतु मैं तो तुम्हारे जैसा एक मनुष्य हूँ। मुझे केवल रसूल बना कर भेजा गया है, ताकि तुम्हें अल्लाह का संदेश सुनाऊँ। रहा चमत्कार, तो वह अल्लाह के हाथ में है। जिसे चाहे दिखा सकता है। फिर क्या तुम चमत्कार देखकर ईमान ले आओगे? यदि ऐसा होता, तो तुम कभी के ईमान ला चुके होते, क्योंकि क़ुरआन से बड़ा क्या चमत्कार हो सकता है?
The tafsir of Surah Al-Isra verse 93 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Isra ayat 90 which provides the complete commentary from verse 90 through 93.
सूरा बनी इसराईल आयत 93 तफ़सीर (टिप्पणी)