लिप्यंतरण:( Innaa fis samaawaati wal ardi la Aayaatil lilmu'mineen )
निःसंदेह आकाशों तथा धरती में ईमानवालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं।
सूरा अल-जासिया आयत 3 तफ़सीर (टिप्पणी)
मुफ़्ती अहमद यार खान
Ibn-Kathir
The tafsir of Surah Jathiya verse 3 by Ibn Kathir is unavailable here. Please refer to Surah Jathiya ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 5.
सूरा अल-जासिया आयत 3 तफ़सीर (टिप्पणी)