लिप्यंतरण:( Wa annahoo kaana yaqoolu safeehunaa 'al allahi shatata )
तथा यह कि हमारा मूर्ख अल्लाह के बारे में सत्य से हटी हुई बात कहा करता था।
सूरा अल-जिन आयत 4 तफ़सीर (टिप्पणी)
मुफ़्ती अहमद यार खान
Ibn-Kathir
The tafsir of Surah Jinn verse 4 by Ibn Kathir is unavailable here. Please refer to Surah Jinn ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 7.
सूरा अल-जिन आयत 4 तफ़सीर (टिप्पणी)