लिप्यंतरण:( Wa annahum zannoo kamaa zanantum al lany yab'asal laahu 'ahada )
और यह कि उन (इनसानों) ने गुमान किया था, जैसे कि तुमने गुमान किया था कि अल्लाह किसी को कभी नहीं उठाएगा।
सूरा अल-जिन आयत 7 तफ़सीर (टिप्पणी)
मुफ़्ती अहमद यार खान
Ibn-Kathir
The tafsir of Surah Jinn verse 7 by Ibn Kathir is unavailable here. Please refer to Surah Jinn ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 7.
सूरा अल-जिन आयत 7 तफ़सीर (टिप्पणी)