लिप्यंतरण:( Yaa aiyuhal lazeena aamanuz kuroo ni'matallaahi 'alaikum iz hamma qawmun ai yabsutooo ilaikum aidiyahum fakaffa aidiyahum 'ankum wattaqullaah; wa'alal laahi fal yatawakalil mu'minoon )
14. अर्थात तुमपर आक्रमण करने का निश्चय किया, तो अल्लाह ने उनके आक्रमण से तुम्हारी रक्षा की। इस आयत से संबंधित बुख़ारी में सह़ीह़ ह़दीस आती है कि एक युद्ध में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एकांत में एक पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे कि एक व्यक्ति आया और आपकी तलवार खींच कर कहा : तुम को अब मुझसे कौन बचाएगा? आपने कहा : अल्लाह! यह सुनते ही तलवार उसके हाथ से गिर गई और आपने उसे क्षमा कर दिया। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4139)
The tafsir of Surah Maidah verse 11 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Maidah ayat 7 which provides the complete commentary from verse 7 through 11.
सूरा अल-मायदा आयत 11 तफ़सीर (टिप्पणी)