लिप्यंतरण:( 'Uzran aw nuzraa )
4. अर्थात ईमान लाने वालों के लिये क्षमा का वचन तथा काफ़िरों के लिये यातना की सूचना लाते हैं।
The tafsir of Surah Mursalat verse 6 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Mursalat ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 15.
सूरा अल-मुर्सलात आयत 6 तफ़सीर (टिप्पणी)