लिप्यंतरण:( Salaamun hiya hattaa mat la'il fajr )
3. इसका अर्थ यह है कि संध्या से भोर तक यह रात्रि सर्वथा शुभ तथा शांतिमय होती है। सह़ीह़ ह़दीसों से स्पष्ट होता है कि यह शुभ रात्रि रमज़ान की अंतिम दस रातों में से कोई एक रात है। इसलिए हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इन दस रातों को अल्लाह की उपासना में बिताते थे।
The tafsir of Surah Qadr verse 5 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Qadr ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 5.
सूरा Al-Qadrआयत 5 तफ़सीर (टिप्पणी)