लिप्यंतरण:( Balil insaanu 'alaa nafsihee baseerah )
6. अर्थात वह अपने अपराधों को स्वयं भी जानता है क्योंकि पापी का मन स्वयं अपने पाप की गवाही देता है।
The tafsir of Surah Qiyamah verse 14 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Qiyamah ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 15.
सूरा Al-Qiyamahआयत 14 तफ़सीर (टिप्पणी)