लिप्यंतरण:( Ayahsabul insaanu al lan najm'a 'izaamah )
क्या इनसान समझता है कि हम कभी उसकी हड्डियों को एकत्र नहीं करेंगे?
सूरा अल-क़ियामह आयत 3 तफ़सीर (टिप्पणी)
मुफ़्ती अहमद यार खान
Ibn-Kathir
The tafsir of Surah Qiyamah verse 3 by Ibn Kathir is unavailable here. Please refer to Surah Qiyamah ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 15.
सूरा अल-क़ियामह आयत 3 तफ़सीर (टिप्पणी)