लिप्यंतरण:( Ayahsabul insaanu ai yutraka sudaa )
11. अर्थात न उसे किसी बात का आदेश दिया जाएगा और न रोका जाएगा और न उससे कर्मों का ह़िसाब लिया जाएगा।
The tafsir of Surah Qiyamah verse36 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Qiyamah ayat 26 which provides the complete commentary from verse 26 through 40.
सूरा अल-क़ियामह आयत 36 तफ़सीर (टिप्पणी)