लिप्यंतरण:( Wa laa tattakhizooo aimaanakum dakhalam bainakum fatazilla qadamum ba'da subootihaa wa tazooqus sooo'a bima sadattum 'an sabeelil laahi wa lakum 'azaabun 'azeem )
42. अर्थात ऐसा न हो कि कोई व्यक्ति इस्लाम की सत्यता को स्वीकार करने के पश्चात् केवल तुम्हारे दुराचार को देखकर इस्लाम से फिर जाए। और तुम्हारे समुदाय में सम्मिलित होने से रुक जाए। अन्यथा तुम्हारा व्यवहार भी दूसरों से कुछ भिन्न नहीं है।
The tafsir of Surah An-Nahl verse 94 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Nahl ayat 93 which provides the complete commentary from verse 93 through 96.
सूरा अन-नहल आयत 94 तफ़सीर (टिप्पणी)