लिप्यंतरण:( Yauma Yata zakkarul insaanu ma sa'aa. )
5. (35) यह प्रलय का तीसरा चरण होगा जबकि वह सामने होगी। उस दिन प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक कर्म याद आएँगे और कर्मानुसार जिसने सत्य धर्म की शिक्षा का पालन किया होगा उसे स्वर्ग का सुख मिलेगा और जिसने सत्य धर्म और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नकारा और मनमानी धर्म और कर्म किया होगा वह नरक का स्थायी दुःख भोगेगा।
The tafsir of Surah An-Naziat verse 35 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Naziat ayat 34 which provides the complete commentary from verse 34 through 46.
सूरा An-Naziatआयत 35 तफ़सीर (टिप्पणी)