लिप्यंतरण:( 46.On the day when they will see it will be as if they had stayed just for an evening or up to the morning (23). )
7. (45) इस आयत में कहा गया है कि (ऐ नबी!) सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आप का दायित्व मात्र उस दिन से सावधान करना है। धर्म बलपूर्वक मनवाने के लिए नहीं। जो नहीं मानेगा, उसे स्वयं उस दिन समझ में आ जाएगा कि उसने क्षण भर के सांसारिक जीवन के स्वार्थ के लिए अपना स्थायी सुख खो दिया। और उस समय पछतावे का कुछ लाभ नहीं होगा।
The tafsir of Surah An-Naziat verse 45 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Naziat ayat 34 which provides the complete commentary from verse 34 through 46.
सूरा An-Naziatआयत 45 तफ़सीर (टिप्पणी)