लिप्यंतरण:( Wa mai ya'mal minas saalihaati min zakarin aw unsaa wa huwa mu'minun fa ulaaa'ika yadkhuloonal Jannata wa laa yuzlamoona naqeeraa )
80. अर्थात सत्कर्म का प्रतिफल सत्य आस्था और ईमान पर आधारित है कि अल्लाह तथा उसके नबियों पर ईमान लाया जाए। तथा ह़दीसों से विदित होता है कि एक बार मुसलमानों और अह्ले किताब के बीच विवाद हो गया। यहूदियों ने कहा कि हमारा धर्म सबसे अच्छा है। मुक्ति केवल हमारे ही धर्म में है। मुसलमानों ने कहा कि हमारा धर्म सबसे अच्छा और अंतिम धर्म है। उसी पर यह आयत उतरी। (इब्ने जरीर)
The tafsir of Surah Nisa verse 124 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Nisa ayat 123 which provides the complete commentary from verse 123 through 126.
सूरा अन-निसा आयत 124 तफ़सीर (टिप्पणी)