लिप्यंतरण:( Wa iny-yatafarraqaa yughnil laahu kullam min sa'atih; wa kaanal laahu Waasi'an Hakeemaa )
86. अर्थात यदि निभाव न हो सके तो विवाह बंधन में रहना आवश्यक नहीं। दोनों अलग हो जाएँ, अल्लाह दोनों के लिए पति तथा पत्नी की व्यवस्था बना देगा।
The tafsir of Surah Nisa verse 130 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Nisa ayat 128 which provides the complete commentary from verse 128 through 130.
सूरा अन-निसा आयत 130 तफ़सीर (टिप्पणी)