Quran Quote  : 

कुरान मजीद-30:39 सुरा अर-रूम हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

وَمَآ ءَاتَيۡتُم مِّن رِّبٗا لِّيَرۡبُوَاْ فِيٓ أَمۡوَٰلِ ٱلنَّاسِ فَلَا يَرۡبُواْ عِندَ ٱللَّهِۖ وَمَآ ءَاتَيۡتُم مِّن زَكَوٰةٖ تُرِيدُونَ وَجۡهَ ٱللَّهِ فَأُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلۡمُضۡعِفُونَ

लिप्यंतरण:( Wa maaa aataitum mir ribal li yarbuwa feee amwaalin naasi falaa yarboo 'indal laahi wa maaa aataitum min zaakaatin tureedoona wajhal laahi fa ulaaa'ika humul mud'ifoon )

और तुम ब्याज पर जो (उधार) देते हो, ताकि वह लोगों के धनों में मिलकर अधिक[14] हो जाए, तो वह अल्लाह के यहाँ अधिक नहीं होता। तथा तुम अल्लाह का चेहरा चाहते हुए जो कुछ ज़कात से देते हो, तो वही लोग कई गुना बढ़ाने वाले हैं।

सूरा अर-रूम आयत 39 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

14. इस आयत में सामाजिक अधिकारों की ओर ध्यान दिलाया गया है कि जब सब कुछ अल्लाह ही का दिया हुआ है, तो तुम्हें अल्लाह की प्रसन्नता के लिए सबका अधिकार देना चाहिए। ह़दीस में है कि जो व्याज खाता-खिलाता है और उसे लिखता तथा उसपर गवाही देता है उस पर नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने धिक्कार किया है।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Ar-Rum verse 39 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Rum ayat 38 which provides the complete commentary from verse 38 through 40.

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