लिप्यंतरण:( Wa maaa aataitum mir ribal li yarbuwa feee amwaalin naasi falaa yarboo 'indal laahi wa maaa aataitum min zaakaatin tureedoona wajhal laahi fa ulaaa'ika humul mud'ifoon )
14. इस आयत में सामाजिक अधिकारों की ओर ध्यान दिलाया गया है कि जब सब कुछ अल्लाह ही का दिया हुआ है, तो तुम्हें अल्लाह की प्रसन्नता के लिए सबका अधिकार देना चाहिए। ह़दीस में है कि जो व्याज खाता-खिलाता है और उसे लिखता तथा उसपर गवाही देता है उस पर नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने धिक्कार किया है।
The tafsir of Surah Ar-Rum verse 39 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Rum ayat 38 which provides the complete commentary from verse 38 through 40.
सूरा अर-रूम आयत 39 तफ़सीर (टिप्पणी)