लिप्यंतरण:( bal jaaa'a bilhaqqi wa saddaqal mursaleen )
तथा कहते थे : क्या सचमुच हम अपने पूज्यों को एक दीवाने कवि के कारण छोड़ देने वाले हैं?
सूरा अस-साफ़्फ़ात आयत 36 तफ़सीर (टिप्पणी)
मुफ़्ती अहमद यार खान
Ibn-Kathir
The tafsir of Surah As-Saffat verse 36 by Ibn Kathir is unavailable here. Please refer to Surah Saffat ayat 27 which provides the complete commentary from verse 27 through 37.
सूरा अस-साफ़्फ़ात आयत 36 तफ़सीर (टिप्पणी)