लिप्यंतरण:( Wa law laa ni'matu Rabbee lakuntu minal muhdareen )
और यदि मेरे पालनहार की अनुकंपा न होती, तो निश्चय मैं भी (जहन्नम में) उपस्थित किए गए लोगों में से होता।
सूरा अस-साफ़्फ़ात आयत 57 तफ़सीर (टिप्पणी)
मुफ़्ती अहमद यार खान
Ibn-Kathir
The tafsir of Surah As-Saffat verse 57 by Ibn Kathir is unavailable here. Please refer to Surah Saffat ayat 50 which provides the complete commentary from verse 50 through 61.
सूरा अस-साफ़्फ़ात आयत 57 तफ़सीर (टिप्पणी)