लिप्यंतरण:( Falaa ta'lamu nafsum maaa ukhfiya lahum min qurrati a'yunin jazaaa'am bimaa kaanoo ya'maloon )
5. ह़दीस में है कि अल्लाह ने फरमाया : मैंने अपने सदाचारी बंदों के लिए ऐसी चीज़ें तैयार की हैं, जिन्हें न किसी आँख ने देखा है और न किसी कान ने सुना है और न किसी मनुष्य के दिल में उन का विचार आया। फिर आपने यही आयत पढ़ी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4780)
The tafsir of Surah Sajdah verse 17 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Sajdah ayat 15 which provides the complete commentary from verse 15 through 17.
सूरा As-Sajdahआयत 17 तफ़सीर (टिप्पणी)