लिप्यंतरण:( Tanzeelul Kitaabi laa raiba feehi mir rabbil 'aalameen )
इस पुस्तक का अवतरण, जिसमें कोई संदेह नहीं, पूरे संसार के पालनहार की ओर से है।
सूरा अस-सजदा आयत 2 तफ़सीर (टिप्पणी)
मुफ़्ती अहमद यार खान
Ibn-Kathir
The tafsir of Surah Sajdah verse 2 by Ibn Kathir is unavailable here. Please refer to Surah Sajdah ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 3.
सूरा अस-सजदा आयत 2 तफ़सीर (टिप्पणी)