लिप्यंतरण:( Wal ardi wa maa tahaahaa )
1. (1-6) इन आयतों का भावार्थ यह है कि जिस प्रकार सूर्य के विपरीत चाँद, तथा दिन के विपरीत रात है, इसी प्रकार पुण्य और पाप तथा इस संसार का प्रति एक दूसरा संसार परलोक भी है। और इन्हीं स्वभाविक लक्ष्यों से परलोक का विश्वास होता है।
The tafsir of Surah Ash-Shams verse 6 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Ash-Shams ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 10.
सूरा Ash-Shamsआयत 6 तफ़सीर (टिप्पणी)