Quran Quote  : 

कुरान मजीद-91:6 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا طَحَىٰهَا

लिप्यंतरण:( Wal ardi wa maa tahaahaa )

6.और ज़मीन की क़सम, और जिसने उसे फैलाया।

सूरा आयत 6 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

6. पृथ्वी का महत्व (The Significance of the Earth)

पृथ्वी: दिव्य शक्ति का प्रतिबिंब (The Earth as a Reflection of Divine Power):

  • पृथ्वी अल्लाह की दिव्य शक्ति का एक रूप है, और इस पर क़समा खाया गया है क्योंकि यह अनेकों आशीर्वादों का स्रोत है। पृथ्वी जीवन के सभी रूपों का समर्थन करती है, चाहे वह इंसान, जानवर या पौधे हों, यह अल्लाह की दया और सृष्टि का एक दृश्य प्रतिबिंब है। खनिज, रत्न, और तेल जैसे संसाधन इसकी गहराइयों से प्राप्त होते हैं, जो इसकी समृद्धि और दिव्य आशीर्वाद को और भी प्रमाणित करते हैं।

पृथ्वी के छिपे और प्रकट प्रभाव (The Hidden and Visible Effects of the Earth):

  • जबकि पृथ्वी की सतह समान दिखाई देती है, इसके छिपे प्रभाव बहुत भिन्न होते हैं। पृथ्वी केवल एक भौतिक तत्व नहीं है; इसमें गहरी आध्यात्मिक महत्ता भी है। यह पैगंबरों और संतों का निवास स्थान है, जो इसे आकाश से भी ऊंचा और विशिष्ट दर्जा देता है। पृथ्वी फसलों, कृषि, और अन्य संसाधनों के रूप में पोषण प्रदान करती है, और यह हजारों वर्षों से निरंतर ऐसा करती रही है, जो इसकी विनम्रता और समर्पण का प्रतीक है।

पृथ्वी की विनम्रता और इसके आशीर्वाद (The Humility of the Earth and Its Bounties):

  • पृथ्वी स्वाभाविक रूप से विनम्र है, और यही विनम्रता इसके द्वारा उपजाए गए बग़ीचे, फसलें और पोषण में परिलक्षित होती है। इसके विपरीत, अग्नि, जो अहंकार का प्रतीक है, इन आशीर्वादों से वंचित है। पृथ्वी, अपनी विनम्रता में, जीवन और वृद्धि का स्रोत है, जो उस दिव्य आशीर्वाद का प्रतीक है जो इसके माध्यम से बहता है। यह वर्षा के प्रभावों को नदियों, वनस्पतियों, और अन्य जीवन रूपों में बदल देती है, जो इसके भीतर छिपी विशाल क्षमता को प्रदर्शित करती है।

सूफीवाद में पृथ्वी का आध्यात्मिक प्रतीकवाद (Spiritual Symbolism of the Earth in Sufism):

  • सूफी संत पृथ्वी और विश्वासियों के दिलों के बीच समानता खींचते हैं। जैसे पृथ्वी निरंतर पोषण प्रदान करती है और आशीर्वाद उत्पन्न करती है, वैसे ही विश्वासियों के दिल, अपनी पैगंबर (صَلَّى اللّٰهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ) से जुड़ी आत्मिकता के माध्यम से आध्यात्मिक आशीर्वाद और दिव्य पोषण प्राप्त करते हैं। विश्वासियों के दिलों में, जैसे पृथ्वी में, विनम्रता, वृद्धि, और आध्यात्मिक आशीर्वाद और मार्गदर्शन की क्षमता होती है।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Ash-Shams verse 6 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Ash-Shams ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 10.

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