Quran Quote  : 

कुरान मजीद-91:9 सुरा हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

قَدۡ أَفۡلَحَ مَن زَكَّىٰهَا

लिप्यंतरण:( Qad aflaha man zakkaahaa )

9. निश्चित रूप से वह सफल होता है जो इसे (आत्मा को) पाक करता है। [9]

सूरा आयत 9 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

आत्मा की पाकिज़गी का अरबी व्याकरण में दृष्टिकोण (The Concept of Purification in Arabic Grammar)

अरबी व्याकरण में "पाक करना" का शब्द "बाबे तफील" से निकला है, जो अत्यधिक पाकिज़गी को दर्शाता है। इसका मतलब है कि पाक करने की प्रक्रिया लगातार और गहराई से होती है, जिसका उद्देश्य रूह (आत्मा) को हमेशा पाकिज़गी में लगे रहना है।

रूह के दोषों के प्रकार (Types of Defects in the Soul)

रूह में कई तरह के दोष हो सकते हैं, लेकिन ये तीन मुख्य श्रेणियों में आते हैं:

  1. गलत अकीदे (Defective Beliefs)
  2. गलत अमल (Defective Actions)
  3. गफलत (Negligence)

रूह को पाक कैसे करें (How to Purify the Soul)

1. गलत अकीदों को सही करना (Correcting Defective Beliefs)

गलत अकीदों को सच और इल्म (knowledge) पर आधारित सही अकीदे अपनाकर ठीक किया जा सकता है।

2. गलत अमल को सुधारना (Rectifying Defective Actions)

गलत अमल को तौबा (repentance) और नेक अमल (pious deeds) में लगातार लगे रहकर सुधारा जा सकता है।

3. गफलत को दूर करना (Overcoming Negligence)

गफलत को इन तरीकों से दूर किया जा सकता है:

  • अपने गुनाहों पर गौर करना।
  • कब्रों की ज़ियारत करना, जो इस दुनिया की अस्थायी ज़िंदगी का एहसास दिलाती है।
  • नेक और फर्माबरदार (obedient) लोगों की संगत में रहना, जो रूहानी तरक्की के लिए प्रेरित करते हैं।

रूह की पाकिज़गी पर इस्लाम का दृष्टिकोण (Islamic Perspective on the Purity of the Soul)

दूसरे धर्मों के मुकाबले, जहां रूह की पाकिज़गी अक्सर भौतिक दुनिया से कटने (जैसे संन्यास लेना) से जोड़ी जाती है, इस्लाम एक संतुलित और बेहतरीन (best) दृष्टिकोण प्रदान करता है। इस्लामी तालीम यह सिखाती है कि अल्लाह द्वारा दी गई कुदरती ताकतों का सही तरीके से और शरई (moral and spiritual) दायरे में रहकर इस्तेमाल करना चाहिए।

जो लोग एकांत जीवन को अपनाते हैं, वे अक्सर गुनाह में फंस जाते हैं और सच्ची पाकिज़गी हासिल नहीं कर पाते। अल्लाह द्वारा दी गई कुदरती ताकतों को अनदेखा करना असल में फितरत (nature) का इन्कार है।

रूह की पाकिज़गी पर इस्लामी तालीम क्यों बेहतर है (Why Islamic Education on Soul Purification is Superior)

इस्लाम की रूह की पाकिज़गी पर दी गई तालीम जिंदगी के दुनियावी (worldly) और रूहानी (spiritual) दोनों पहलुओं को जोड़ती है। इस संतुलन को बनाए रखते हुए, इंसान रूहानी बुलंदी हासिल कर सकता है, बिना अपनी दुनियावी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज किए।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Ash-Shams verse 9 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Ash-Shams ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 10.

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