लिप्यंतरण:( Kazaalika yooheee ilaika wa ilal lazeena min qablikal laahul 'Azeezul Hakeem )
1. आरंभ में यह बताया जा रहा है कि मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) कोई नई बात नहीं कर रहे हैं और न यह वह़्य (प्रकाशना) का विषय ही इस संसार के इतिहास में प्रथम बार सामने आया है। इससे वूर्व भी पहले नबियों पर प्रकाशना आ चुकी है और वे एकेश्वरवाद का संदेश सुनाते रहे हैं।
The tafsir of Surah Shura verse 3 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Shura ayat 1 which provides the complete commentary from verse 1 through 6.
सूरा अश-शूरा आयत 3 तफ़सीर (टिप्पणी)