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कुरान मजीद-43:17 सुरा अज़-ज़ुख़रुफ़ हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

وَإِذَا بُشِّرَ أَحَدُهُم بِمَا ضَرَبَ لِلرَّحۡمَٰنِ مَثَلٗا ظَلَّ وَجۡهُهُۥ مُسۡوَدّٗا وَهُوَ كَظِيمٌ

लिप्यंतरण:( Wa izaa bushshira ahaduhum bimaa daraba lir Rahmaani masalan zalla wajhuhoo muswaddanw wa huwa kazeem )

हालाँकि जब उनमें से किसी को उस चीज़ की मंगल सूचना दी जाए, जिसकी उसने रहमान (परम दयावान्) के लिए मिसाल बयान की है, तो उसके मुँह पर कलौंस[6] छा जाती है और वह शोक से भर जाता है।

सूरा अज़-ज़ुख़रुफ़ आयत 17 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

6. इस्लाम से पूर्व यही दशा थी कि यदि किसी के हाँ बच्ची जन्म लेती, तो लज्जा के मारे उसका मुख काला हो जाता। और कुछ अरब के क़बीले उसे जन्म लेते ही जीवित गाड़ दिया करते थे। किंतु इस्लाम ने उसको सम्मान दिया। तथा उसकी रक्षा की। और उसके पालन-पोषण को पुण्य कार्य घोषित किया। ह़दीस में है कि जो पुत्रियों के कारण दुःख झेले और उनके साथ उपकार करे, तो उसके लिए वे नरक से पर्दा बनेंगी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 5995, सह़ीह़ मुस्लिम : 2629) आज भी कुछ पापी लोग गर्भ में बच्ची का पता लगते ही गर्भपात करा देते हैं। जिसको इस्लाम बहुत बड़ा अत्याचार समझता है।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Zukhruf verse 17 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Zukhruf ayat 15 which provides the complete commentary from verse 15 through 20.

सूरा अज़-ज़ुख़रुफ़ सभी आयत (छंद)

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