Quran Quote  : 

कुरान मजीद-43:86 सुरा अज़-ज़ुख़रुफ़ हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

وَلَا يَمۡلِكُ ٱلَّذِينَ يَدۡعُونَ مِن دُونِهِ ٱلشَّفَٰعَةَ إِلَّا مَن شَهِدَ بِٱلۡحَقِّ وَهُمۡ يَعۡلَمُونَ

लिप्यंतरण:( Wa laa yamlikul lazeena yad'oona min doonihish shafaa'ata illaa man shahida bilhaqqi wa hum ya'lamoon )

तथा वे लोग जिन्हें ये उसके सिवा पुकारते हैं, वे सिफ़ारिश का अधिकार नहीं रखते। परंतु जिसने सत्य[22] की गवाही दी और वे (उसे) जानते हों।

सूरा अज़-ज़ुख़रुफ़ आयत 86 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

22. सत्य से अभिप्राय धर्म-सूत्र "ला इलाहा इल्लल्लाह" है। अर्थात जो इसे जान-बूझ कर स्वीकार करते हों, तो शफ़ाअत उन्हीं के लिए होगी। उन काफ़िरों के लिए नहीं, जो मूर्तियों को पुकारते हैं। अथवा इससे अभिप्राय यह है कि सिफ़ारिश का अधिकार उनको मिलेगा जिन्होंने सत्य को स्वीकार किया है। जैसे नबियों, फ़रिश्तों तथा सदाचारियों को, न कि उन झूठे पूज्यों को जिन्हें मुश्रिक अपना सिफ़ारिशी समझते हैं।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Zukhruf verse 86 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Zukhruf ayat 81 which provides the complete commentary from verse 81 through 89.

सूरा अज़-ज़ुख़रुफ़ सभी आयत (छंद)

Sign up for Newsletter