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कुरान मजीद-39:42 सुरा अज़-ज़ुमर हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

ٱللَّهُ يَتَوَفَّى ٱلۡأَنفُسَ حِينَ مَوۡتِهَا وَٱلَّتِي لَمۡ تَمُتۡ فِي مَنَامِهَاۖ فَيُمۡسِكُ ٱلَّتِي قَضَىٰ عَلَيۡهَا ٱلۡمَوۡتَ وَيُرۡسِلُ ٱلۡأُخۡرَىٰٓ إِلَىٰٓ أَجَلٖ مُّسَمًّىۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّقَوۡمٖ يَتَفَكَّرُونَ

लिप्यंतरण:( Allaahu yatawaffal anfusa heena mawtihaa wallatee lam tamut fee manaamihaa fa yumsikul latee qadaa 'alaihal mawta wa yursilul ukhraaa ilaaa ajalim musammaa; inna fee zaalika la Aayaatil liqawmai yatafakkarroon )

अल्लाह ही प्राणों को उनकी मौत के समय क़ब्ज़ करता है, तथा जिसकी मौत का समय नहीं आया, उसकी नींद की अवस्था में। फिर (उसे) रोक लेता है, जिसके बारे में मौत का निर्णय कर दिया हो तथा अन्य को एक निर्धारित समय तक के लिए भेज देता है। निःसंदेह इसमें उन लोगों के लिए निश्चय कई निशानियाँ हैं, जो मनन-चिंतन[8] करते हैं।

सूरा अज़-ज़ुमर आयत 42 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

8. इस आयत में बताया जा रहा है कि मरण तथा जीवन अल्लाह के नियंत्रण में हैं। निद्रा में प्राणों को खींचने का अर्थ है, उनकी संवेदन शक्ति को समाप्त कर देना। अतः कोई इस निद्रा की दशा पर विचार करे, तो यह समझ सकता है कि अल्लाह मुर्दों को भी जीवित कर सकता है।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Az-Zumar verse 42 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Zumar ayat 41 which provides the complete commentary from verse 41 through 42.

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