Quran Quote  : 

कुरान मजीद-35:10 सुरा फ़ातिर हिंदी अनुवाद, लिप्यंतरण और तफ़सीर (तफ़सीर).

مَن كَانَ يُرِيدُ ٱلۡعِزَّةَ فَلِلَّهِ ٱلۡعِزَّةُ جَمِيعًاۚ إِلَيۡهِ يَصۡعَدُ ٱلۡكَلِمُ ٱلطَّيِّبُ وَٱلۡعَمَلُ ٱلصَّـٰلِحُ يَرۡفَعُهُۥۚ وَٱلَّذِينَ يَمۡكُرُونَ ٱلسَّيِّـَٔاتِ لَهُمۡ عَذَابٞ شَدِيدٞۖ وَمَكۡرُ أُوْلَـٰٓئِكَ هُوَ يَبُورُ

लिप्यंतरण:( Man kaana yureedul 'izzata falillaahil 'izzatu jamee'aa; ilaihi yas'adul kalimut taiyibu wal'amalus saalihu yarfa'uh; wallazeena yamkuroonas sayyiaati lahum 'azaabun shadeed; wa makru ulaaa'ika huwa yaboor )

जो व्यक्ति सम्मान (इज़्ज़त) चाहता है, तो सब सम्मान अल्लाह ही के लिए है। पवित्र वाक्य[5] उसी की ओर चढ़ते हैं और सत्कर्म उन्हें ऊपर उठाता[6] है। तथा जो लोग बुरी चालें चलते हैं, उनके लिए कठोर यातना है और उनकी चाल ही मटियामेट होकर रहेगी।

सूरा फ़ातिर आयत 10 तफ़सीर (टिप्पणी)



  • मुफ़्ती अहमद यार खान

5. पवित्र वाक्य से अभिप्राय ((ला इलाहा इल्लल्लाह)) है। जो तौह़ीद का शब्द है। तथा चढ़ने का अर्थ है : अल्लाह के यहाँ स्वीकार होना। 6. आयत का भावार्थ यह है कि सम्मान अल्लाह की उपासना से मिलता है, अन्य की पूजा से नहीं। और तौह़ीद के साथ सत्कर्म का होना भी अनिवार्य है। और जब ऐसा होगा, तो उसे अल्लाह स्वीकार कर लेगा।

Ibn-Kathir

The tafsir of Surah Fatir verse 10 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Fatir ayat 9 which provides the complete commentary from verse 9 through 11.

सूरा फ़ातिर सभी आयत (छंद)

Sign up for Newsletter