लिप्यंतरण:( In yashaʾ yudhhibkum wa yaʾti bikhalkin jadīd )
9. भावार्थ यह कि मनुष्य को प्रत्येक क्षण अपने अस्तित्व तथा स्थायित्व के लिए अल्लाह की आवश्यकता है। और अल्लाह ने निर्लोभ होने के साथ ही उसके जीवन के संसाधन की व्यवस्था कर दी है। अतः यह न सोचो कि तुम्हारा विनाश हो गया, तो उसकी महिमा में कोई अंतर आ जाएगा। वह चाहे, तो तुम्हें एक क्षण में ध्वस्त करके दूसरी मख़लूक़ ले आए, क्योंकि वह एक शब्द \"कुन\" (जिस का अनुवाद है \'हो जा\') से जो चाहे पैदा कर दे।
The tafsir of Surah Fatir verse 16 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Fatir ayat 15 which provides the complete commentary from verse 15 through 18.
सूरा फ़ातिर आयत 16 तफ़सीर (टिप्पणी)