लिप्यंतरण:( Wa mā dhālika ʿalā Allāhi biʿazīz )
70. नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फ़ज्र की नमाज़ में रुकूअ के पश्चात यह प्रार्थना करते थे कि हे अल्लाह! अमुक को अपनी दया से दूर कर दे। इसी पर यह आयत उतरी। (सह़ीह़ बुखारी : 4559) 71. अर्थात उन्हें मार्गदर्शन दे। 72. यदि वे काफ़िर ही रह जाएँ।
The tafsir of Surah Fatir verse 17 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Fatir ayat 15 which provides the complete commentary from verse 15 through 18.
सूरा फ़ातिर आयत 17 तफ़सीर (टिप्पणी)