लिप्यंतरण:( Iz jaaa'at humur Rusulu mim baini aydeehim wa min khalfihim allaa ta'budooo illal laaha qaaloo law shaaa'a Rabunaa la anzala malaaa 'ikatan fa innaa bimaaa ursiltum bihee kaafiroon )
5. अर्थात प्रत्येक प्रकार से समझाते रहे। 6. वे मनुष्य को रसूल मानने के लिए तैयार नहीं थे। (जिस प्रकार कुछ लोग जो रसूल को मानते हैं पर वे उन्हें मनुष्य मानने को तैयार नहीं हैं)। (देखिए : सूरतुल-अन्आम, आयत : 9-10, सूरतुल-मूमिनून, आयत : 24)
The tafsir of Surah Fussilat verse 14 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Fussilat ayat 13 which provides the complete commentary from verse 13 through 19.
सूरा हामीम अस-सजदा आयत 14 तफ़सीर (टिप्पणी)