लिप्यंतरण:( Wa laa tastawil hasanatu wa las saiyi'ah; idfa' billatee hiya ahsanu fa'izal lazee bainaka wa bainahoo 'adaawatun ka'annahoo waliyun hameem )
10. इस आयत में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को तथा आपके माध्यम से सर्वसाधारण मुसलमानों को यह निर्देश दिया गया है कि बुराई का बदला अच्छाई से तथा अपकार का बदला उपकार से दें। जिसका प्रभाव यह होगा कि अपना शत्रु भी हार्दिक मित्र बन जाएगा।
The tafsir of Surah Fussilat verse 34 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Fussilat ayat 33 which provides the complete commentary from verse 33 through 36.
सूरा हामीम अस-सजदा आयत 34 तफ़सीर (टिप्पणी)