लिप्यंतरण:( Wa immaa yanzaghannaka minash Shaitaani nazghun fasta'iz billaahi innahoo Huwas Samee'ul 'Aleem )
110. इस्लाम से पूर्व अरब में यह प्रथा थी कि जब ह़ज्ज का एह़राम बाँध लेते, तो अपने घरों में द्वार से प्रवेश न करके पीछे से प्रवेश करते थे। इस अंधविश्वास के खंडन के लिए यह आयत उतरी कि भलाई इन रीतियों में नहीं बल्कि अल्लाह से डरने और उसके आदेशों के उल्लंघन से बचने में है।
The tafsir of Surah Fussilat verse 36 by Ibn Kathir is unavailable here.
Please refer to Surah Fussilat ayat 33 which provides the complete commentary from verse 33 through 36.
सूरा हामीम अस-सजदा आयत 36 तफ़सीर (टिप्पणी)